उठते है तूफान ए जज़्बात अक्सर टूटे इस दिल से टूटी हर धड़कनों के साथ।
होता है अहसास ए हक़ीकत से जब भी, रुक जाती है सांसे मेरी, मेरी बेताबियाँ के साथ।।
ख़्वाहिश है वस्ल ए रूह, ख़ामोश है अहसास जो रूहानी न जाने क्यों किसी ख़ामोशी के साथ।
गुनाह है लहू ए दस्तखत, फ़रमान ए मौत सा कोई, जिंदा है धड़कने जो सितम किसी बंदिशों के साथ।।
स्वतँत्र लेखक विक्रान्त राजलीवाल द्वारा लिखित।
7/05/2018 at 17:28pm