सुबह सवेरे जाग के जल्दी, होता हैं आत्म-साक्षात्कार,
नयी सुबह नया सवेरा भरता हैं देह-प्राण।
सब से पहले नाम-ईशवर, नश्वर हैं बाकि ये संसार,
रग रग में जग जाए उमंग, करो न अब विचार।।
योग-प्रयाणं, धयान करो, ले कर प्रभु का नाम,
नयी सुबह, नया सवेरा भरता हैं देह-प्राण।
खुश-हाली के संस्कार हे ये, आत्म-शांति का ज्ञान,
माँत-पिता एक वो ही ईशवर, तुम लो अब उसको थाम।।
सचाई के मार्ग पे आगे, चलो हमेशा बढ़ते, राह-शूल हो या कंकर पथर या हो आग का दरिया।
कर लोंगे तुम पार भी उसको, पर न करना अभिमान।।
छोटे -बड़े सब लोगो का करना हमेशा सम्मान।।।
सुबह सवेरे जाग के जल्दी होता हैं आत्म-साक्षात्कार
नयी सुबह नया सवेरा भरता है देह प्राण।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
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