भाव न बदले, व्यवहार न बदले, बदल गए भृमित जब से समस्त एहसास।
न दुख है कोई, न ही कोई खुशी, व्यक्तिव चेतना जागृत है जीवन का एक भाव।
स्थिर जीवन, स्थिर दिनचर्या, स्थापित केंद्र आत्मशांति व्यवहारों से जीवन आदर्श जो एक नेक मिसाल।
साथ सत्य से मरहम घावों पर, पथ प्रकाश से राह सच्चाई, सत्य अनुभव हर पल बदलाव के ईमानदारी की ढाल।।
स्वतँत्र लेखक विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
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