🔥कर्राहता है दर्द भी, हो जाता है जब अत्याचार।
बेबसी है आज भी, नही झुकता हैं जब गुनहगार।।
भूल जाता है जमाना भी एक जमाने के बाद।
निकलती है हर दुखी दिल से फिर एक आह…
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
🔥 It hurts even when it gets tortured
Helplessness, even today, does not bend when the criminal
Forgets the world after a time
An unhappy heart reappears again…
Written by Vikrant Rajliwal(translated)
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👉 चेतना।
राख हु श्मशान की भस्म होकर भी जल जाऊंगा।
चेतन है अंतरात्मा जो मेरी , मिट कर भी मिट न मैं पाऊंगा।।
विक्रांत राजलीवाल द्व लिखित।
👉 मसीहा है महोबत का ज्ञान का अवतार।
कृष्ण कहो, कन्हिया कहो या कहो राम तुम उसको रहीम,
गिरते हुए को थाम कर ले जाता है अपने वो द्वार।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 लिखता हूं एहसास दिल के कलम से जो अपने,
आ जाए पसन्द जो आपको, ख़ुशनसीबी अपनी समझता हूं इसे मैं…
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 सुन कर आवाज़ आत्मा कि अपने,
रुक पाना आसान नही।
राह सच्चाई मंज़िल वो अपनी,
पीछे अब हट पाना आसान नही।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 न देख मुड़ कर दोबारा ए वक़्त मिट चुकी जो लकीरें राह कदमों से तेरी।
उठा कदम छूने को ये आसमान, ये हवाए ये फिजाएं अब है तेरी।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 न बेचना ए वक़्त नसीब अपना कभी किसी गैर के हाथ।
चला जाएगा मार के ठोकर, पड़ा है कदमो में जो नसीब, किसी गैर के पास।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 कहते है ज्ञान पुराने, लगती है ठोकर जब इंसान को सम्भलता जरूर है।
गिरता है नज़रो में जब अपनी, तो उठता जरूर है।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 अच्छा पढ़े दिल से पढ़े और अपने लिए पढ़े क्योंकि शुद्ध और सच्चे विचार कर देते है दूर सब मनोविकार।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 समझना ख़ुद को बड़ा सबसे, गई अक्ल है मेरी।
छोटे बड़े सबका हो सम्मान, यही ज्ञान भाव कि हे फुलवारी।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 हर माहौल ए जिंदगी, संघर्ष ए हिम्मत अब छूटने न पाए।
छूट जाए हर चाहत, हर सांस चाहे आखरी, राह ए मंज़िल ये साथ सांसो से धड़कनों का अपने अब छूटने न पाए।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 मेरा है वतन ये हिंदुस्तान, मिट्टी भारतवर्ष की ये मेरी है ज़िंदगानी।
सांसों में है खुशबू इसकी, हर कण में लहू के देश भक्ति की रवानी।
महोबत है वतन से वतन से ये मेरी ज़िंदगानी।
बालक हु माटी का मैं, निछावर है जिस पर ये मेरी ज़िंदगानी।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 अपने जीवन से प्यार और उसका ईमानदारी से अपने व्यक्त्वि का निखार।
सद्भावना मार्ग सच्चाई से दूसरों से प्यार और ईमानदारी से उनके व्यक्त्वि का भी निखार।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 देखता हूं आज उठाकर नज़रे चारो ओर जब अपने,
देता है दिखाई साया झूठ का, बेईमानी का,
मजबूर है हर कोई इंसां, आती नही नज़र कोई राह,
कर के क़त्ल ज़मीर का अपने, जी रहा है आज हर कोई यहाँ…
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 दिल से निकले जो पुकार ए टूटे दिल ईष्वर अलाह सुनता है जरूर।
बढ़ा कर हाथ, झुक कर आगे, गिरे हुए इंसां को सहारा प्रेम से देता है जरूर।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 जाती न पूछिए ज्ञान की, कर्म से सबका संज्ञान।
लड़वा दे भाई को भाई से जो, होता है कोरा वो अज्ञान।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
👉 हर माहौल ए ज़िन्दगी, संघर्ष ए हिम्मत छूटने न पाए।
छूट जाए, हर चाहत, हर सांस चाहें आखरी,
राह ए मंज़िल, ये साथ गुरु का अपने अब छूटने न पाए।।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
पुनः प्रकाशित एव संग्रह के रूप में प्रथम बार।
18/11/2018 at 11:25am